मंगलवार, 8 दिसंबर 2015

देवरहा बाबा के चमत्कार – 20

सत्य दर्शन : सूक्ष्म दर्शन
हिंदी के प्रसिद्ध समालोचक एवं विद्वान् डा ० नगेन्द्र एक बार अपने मित्र मंडली के साथ पूज्य बाबा के दर्शन के लिए गये | रास्ते में एक सोती में नदी का पानी आ गया था | कपडा खोल कर हीं उसे पार किया जा सकता था | वहां से आश्रम लगभग एक मील दूर था | सभी मित्र तो अंडरवियर पहने पार कर गये किन्तु डा ० नगेन्द्र को इस प्रकार नदी पार करना जंचा नहीं | वे किनारे पर  हीं एक पेंड की छाँव में बैठ  गये | उनके मन में बड़ा मलाल था कि यहाँ तक आ कर भी वे बाबा के दर्शन नहीं कर सके | चुपचाप बैठे रहने से उन्हें झपकी आ गयी | 


       इतने में लगा की कोई जटा जूट धारी साधु उनके समीप आया  - “ क्यों बच्चा तू दर्शन को नहीं गया |”
-    “ सोती में पानी है , कमर से उपर तक | पार नहीं कर सका |”
-    तू डा ० नगेन्द्र है न ? रस सिद्धांतों का पंडित ?”
-    “ जी |”
-    अच्छा , अच्छा | कोई बात नहीं | बाबा तो सर्वत्र है , सर्वव्यापी है | तू यहीं दर्शन कर ले |”
-    अहंकार घोर शत्रु है , वह प्रभु से मिलने नहीं देता | बच्चा तू काम करता जा | शास्त्र महान है | उनके आलोक को फैला |”
-    “ जी |”



-    यह प्रसाद ले और बोल
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने
प्रणतक्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम :
और नगेन्द्र भक्त सोच कि
“संसार पीछे छूट गया और तू भगवान के सम्मुख है | कल्याण है |”
फिर बाबा चले गये | उनकी आकृति बड़ी भव्य थी | निर्वसन दिगम्बर रूप | डा ० नगेन्द्र ने बड़ा संतोष अनुभव किया |
इसी बीच उनके मित्र बाबा के दर्शन कर वापस आ गये थे | उन लोगों ने उन्हें जगाया – “ लो बाबा ने यह
प्रसाद विशेष तौर पर तुम्हारे लिए दिया है |
       डा ० नगेन्द्र ने प्रसाद ग्रहण किया | मित्रों से जो बाबा का वर्णन मिला , वह हू ब हू उस बाबा से मिलता था , जिन्होंने कुछ हीं क्षण पूर्व उन्हें दर्शन दे कर कृतार्थ किया था | वे अचरज में पड़े थे | तो क्या बाबा ने स्वयं सूक्ष्म शरीर में दर्शन  दे कर इन्हें कृतार्थ किया था ?
       मित्र बाबा की प्रशंशा करते अघा नहीं रहे थे और डा ० नगेन्द्र गुमसुम मन हीं मन बाबा को अपना  प्रणाम निवेदित कर रहे थे |
देवरहा बाबा के चरणों में नमन _/\_

साभार : ब्रजकिशोर जी के पुस्तक से प्राप्त