सोमवार, 23 मई 2016

भूत प्रेतों का अस्तित्व

भूतों (Ghost )  के आकर , रंग,  रूप  आदि  जानने की इच्छा प्राय : लोगों के  मन  में  होती  है | सुप्रसिद्ध फिल्म निर्देशक रामानन्द  सागर जब अपनी फिल्म कोहेनूर की शूटिंग के लिए बदीनाथ गये थे तो उनकी वहां भेंट परमार्थलोक नामक धर्मशाला के संचालक स्स्वामी सर्वदानन्द से हुई | उन्हीं के अधीन एक और स्वामी थे जिन्हें वे छोटे स्वामी कहते थे | छोटे स्वामी  ने भूत प्रेत सिद्ध कर रखे थे | उनसे जो कुछ जानकारी प्राप्त हुई , उसका विवरण श्री रामानन्द सागर ने 28 जून 1981 के धर्मयुग नामक पत्रिका में दिया है | छोटे स्वामी जी से उन्हें मालूम हुआ कि प्रेत का अकार साधारणतया दिखाई नहीं देता | ऐसा  लगता है कोई चीज हवा में तैर रही है | जिन्हें प्रेत सिद्धि प्राप्त  होती है वही इन्हें हर समय देख सकता है | इनसे हर समय बात कर सकता है | रूप रंग इनका बड़ा विचित्र होता है | आँखों की जगह गड्ढे , नाकों की जगह भी गड्ढे | सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रेतात्माओं के पैर नहीं दिखते , और जब ये बोलते हैं तब सामान्य आदमी को लगता है की कहीं आसपास से मिनमिन ..........मिनमिन .... की इ आवाज़ आ रही है | सुनने वालों की समझ में इनकी कोई बात नहीं आएगी लेकिन सिद्धि प्राप्त लोगों को इनकी सारी बातें समझ में आएगी |
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