मंगलवार, 26 मई 2015

देवरहा बाबा के चमत्कार


श्री  महाबीर प्रसाद मुजफ्फरपुर  के मुंसिफ थे | अक्टूबर १९५७  में ये पहली बार बाबा  के दर्शनों के लिए  लार रोड स्थित सरयू तट वाले  आश्रम पर  पहुंचे | उनके साथ उनके  सारे परिवार  के लोग थे  | दर्शनोप्रांत लौटते समय उनके  साले  के  पुत्र को रास्ते में सांप  ने डंस लिया | उसकी उम्र सत्रह वर्ष की थी |सांप  जहरीला था , कुछ हीं क्षणों  में  जहर असर  करने  लगा | वह तुरंत बेहोश  हो गया | उसे  उठा कर सभी  बाबा  के  मंच  के पास पुन : आ गये |

       बाबा  ने  उसे जमीं पर लेटा   देने  को कहा | स्वयं  मंच  पर  हीं  खड़े  रहे | श्री  बाबा  ने  उपर  से  हीं अपनी  दृष्टि लड़के  के तरफ करके  कहा – “ क्यों काटा  है  इसे , बोल  क्या  कारण  है ?”
अचेत  बालक  लेटे लेटे हीं  बोला – “ मेरे शरीर  पर  इसने  पैर  रखा  था | ”
---- यह  अनुचित  है | जानबूझ कर  बालक  ने  कोई अपराध  तो  नहीं  किया | रास्ते  में तू  सोया  क्यों  था ?” बाबा  ने  ताड़ना देते  हुए आदेश  दिया –“ मैं कहता  हूँ  तू इसका  विष  खिंच  ले  |”
-     क्षमा कीजिये सरकार  मैं  विष  खिंच  रहा  हूँ | ”
बालक  उठ कर  बैठ गया | थोड़ी  देर  में वह  पूर्णत : स्वस्थ  हो कर सबके  साथ  घर  को  लौट  गया |
साभार – प्रो ० ब्रजकिशोर जी के पुस्तक “ योगिराज  श्री   देवरहा  बाबा  के  चमत्कार ” पुस्तक  से प्राप्त 

बुधवार, 20 मई 2015

ध्यान की महता

मैं ध्यान पर इतना जोर क्यों देता हूँ !
भैया अध्यात्म के मार्ग में अपना ये शरीर हीं प्रयोग करने का equipment बन सकता है | यहाँ हाथों हाथ लेना और देना होता है शरीर सारे अनुभूतियों का साक्षी होता है | तो ध्यान शुरू करते हैं खुद से और लगे हाथ अनुभूतियाँ भी होती है | अनुभूतियाँ हमारे भीतर रूचि पैदा करती हैं परमात्मा के प्रति | अध्यात्म में और कोई भी ऐसा मार्ग नहीं जो हाथो हाथ रिजल्ट दे | ध्यान तवरित परिणाम देता है बस ध्यान करने की जरूरत है | और एक बात लोग कभी कभी कुछ अनुभूतियों से डर भी जाते हैं मैं आश्वस्त करता हूँ आपको की डरने की कोई आवश्यकता नहीं है | आज तक ध्यान से किसी का कोई नुक्सान नहीं हुआ है | तो ध्यान करें और हाथो हाथ परिणाम मिलेगा इसमें शक की कोई गुंजाइश नहीं है |

एक  छोटा  सा ध्यान प्रयोग 
अनाहत चक्र ध्यान !
पालथी मार कर आराम से रीढ़ की हड्डी सीधी कर के बैठ जाएँ !
दोनों पसलियों ( सीना ) के मध्य अपना ध्यान ले जाएँ !
दो चार गहरी लम्बी सांस लें धीरे धीरे और गहरी !
आकाश को कल्पना में आने दें !
हृदय की धडकन को मह्शूश करें और सुनने की कोशिश करें !
मन हीं मन यं यं ( YAM ) इस मन्त्र का जाप करें !
दस मिनट से एक घंटे तक इस ध्यान को किया जा सकता है !
ध्यान के बाद कुछ समय के लिए मौन रहें !
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