बुधवार, 20 मई 2015

ध्यान की महता

मैं ध्यान पर इतना जोर क्यों देता हूँ !
भैया अध्यात्म के मार्ग में अपना ये शरीर हीं प्रयोग करने का equipment बन सकता है | यहाँ हाथों हाथ लेना और देना होता है शरीर सारे अनुभूतियों का साक्षी होता है | तो ध्यान शुरू करते हैं खुद से और लगे हाथ अनुभूतियाँ भी होती है | अनुभूतियाँ हमारे भीतर रूचि पैदा करती हैं परमात्मा के प्रति | अध्यात्म में और कोई भी ऐसा मार्ग नहीं जो हाथो हाथ रिजल्ट दे | ध्यान तवरित परिणाम देता है बस ध्यान करने की जरूरत है | और एक बात लोग कभी कभी कुछ अनुभूतियों से डर भी जाते हैं मैं आश्वस्त करता हूँ आपको की डरने की कोई आवश्यकता नहीं है | आज तक ध्यान से किसी का कोई नुक्सान नहीं हुआ है | तो ध्यान करें और हाथो हाथ परिणाम मिलेगा इसमें शक की कोई गुंजाइश नहीं है |

एक  छोटा  सा ध्यान प्रयोग 
अनाहत चक्र ध्यान !
पालथी मार कर आराम से रीढ़ की हड्डी सीधी कर के बैठ जाएँ !
दोनों पसलियों ( सीना ) के मध्य अपना ध्यान ले जाएँ !
दो चार गहरी लम्बी सांस लें धीरे धीरे और गहरी !
आकाश को कल्पना में आने दें !
हृदय की धडकन को मह्शूश करें और सुनने की कोशिश करें !
मन हीं मन यं यं ( YAM ) इस मन्त्र का जाप करें !
दस मिनट से एक घंटे तक इस ध्यान को किया जा सकता है !
ध्यान के बाद कुछ समय के लिए मौन रहें !
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