बुधवार, 5 अगस्त 2015

देवरहा बाबा के चमत्कार 14

यहाँ भी छल !

बाबा मंच पर आसीन थे दर्शनार्थियों की भीड़ लगी हुई थी | स्त्री , पुरुष , धनी ,गरीब सभी थे | अनपढ़ और विद्वान् सभी | पैदल चल कर आने वाले और कार से चल कर आने वाले भी | बबूल बन की छाँव | बाबा एक एक कर या पांच सात को इकठ्ठे बुला कर बातचीत कर रहे थे , आशीष दे रहे थे | एक आदमी सहमा सहमा उपस्थित हुआ | बड़ा दयनीय चेहरा था | बहुत हीं दुखी लग रहा था | किसी को भी देख कर दया आ जाए ऐसा चेहरा बनाया था उसने | लेकिन बाबा की आँखें तो भीतर भेद कर देखती है , उपर का आवरण निरर्थक है | सामने वाला अभिनय में चाहे जितना भी दक्ष हो , बाबा के सामने पड़ते हीं कच्चा चिट्ठा खुल जाता है |
       उस मायूस चेहरे वाले के भीतर प्रवेश करते हीं न जाने क्यों  बाबा क्रोधित हो गये | जोर की कडकती आवाज़ बाहर तक आई | सभी सहम गये | क्षण भर को कीर्तन की लहर थम गयी |
-    “ तू महापापी है घोर नरक में जायेगा | उपर से छल करता है और दिन भर पाप में धंसता जाता है | जा , जा |”
वह व्यक्ति कुछ गिडगिडाया | कुछ आरजू करना चाहा |
-    “ समय नष्ट करना घोर पाप है |तू अपने साथ मेरा और खड़े  इन भक्तों का समय नष्ट क्यों करता है ? तू दिन रात पाप करता रहे और हम उसे  धोते रहे | मनुष्य अपने कर्मों का फल हीं पाता है नीच | यहाँ भी छल करता है !”
लेकिन बाबा ने उसके तरफ भी एक केला फेंक हीं दिया – “ ले प्रसाद और भाग
-    अपने को सुधार ! समय नष्ट मत कर ! ”  
फिर बाबा सहज हो गये | दूसरे जत्थे की पुकार हुई ! वह व्यक्ति पीछे हटते हटते गेट के बाहर आ गया | लोग उसे घूर रहे थे | वह और दयनीय लग रहा था | रामधुन की  मंद  हुई ध्वनी को लक्ष्य कर बाबा ने प्रेमपूर्वक कहा
-    “ नामकीर्तन जारी रखो बच्चा | ”
और फिर जय सियाराम , जय सियाराम की ध्वनि जोर जोर से उठने लगी |
देवरहा बाबा के चरणों में सादर प्रणाम _/\_
-    साभार ब्रजकिशोर जी के पुस्तक से प्राप्त 

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