शनिवार, 1 अगस्त 2015

देवरहा बाबा के चमत्कार - 13

बतासे में कीड़ें !
मार्च 1952 में कुम्भ के शुभ अवसर पर परम पूज्य बाबा हरिद्वार में हीं थे | 13 अप्रैल को कुम्भ का मुहूर्त था | उन्हीं दिनों श्री बाबा के दर्शानार्थ एक बड़ा हीं दीन बिद्यार्थी आया | वह धारा में प्रवेश कर मंच तक पहुंचा और जोर जोर से रोने लगा |
परम दयालु बाबा ने छात्र से रोने का कारण पूछा | छात्र ने जो कुछ भी बताया उसका तात्पर्य था कि वह किसी असाध्य रोग से ग्रस्त था | डाक्टरों के हिसाब से उसका बचना कठिन था | वह बाबा की शरण में आया था |
श्री बाबा ने उसके हाथ में कुछ बतासे गिराए और उन्हें खा जाने का आदेश दिया | परन्तु छात्र उन्हें खाने से झिझकने लगा | उसे बहुतेरे कीड़े कुलबुलाते नजर आने लगे  | उसने चाहा की उन छोटे छोटे कीड़ों को झाड कर निकाल दे और तब बतासे को खा कर आदेश का पालन करे | उसने बाबा से अपनी झिझक का कारण बतलाया | बाबा उसे लक्ष्य कर रहे थे |
बाबा ने छात्र से  कुछ क्षण मौन रह कर कहा –“ देखो तो अब कीड़े हैं या नहीं |”
बिद्यार्थी ने बतासे को गौर से  देखा | अब कीड़े नहीं थे | बतासे बिलकुल साफ़ थे |
-    “ अब तो कीड़े नहीं दिखते |” छात्र ने कहा
-    “ तो प्रसाद ग्रहण करने में कोई हानि नहीं है , क्यों बच्चा ?” बाबा ने कहा |
-    “ जी ! ”  कहकर छात्र ने बतासे को मुंह में डाल लिया |
-    “ देख बच्चा तेरी बिमारी अब बिलकुल भाग गयी | यदि कीड़े तुम्हें दुबारा दिखाई देते तो रोग का निवारण सचमुच नहीं होता |” बाबा ने कहा
बिद्यार्थी गदगद था | उसकी आँखों में कृतज्ञता के आंसू थे | उस छात्र के निकट खड़े भक्त विस्मित थे | उन्हें बतासों में पहले हीं  कोई दोष नजर नहीं आया था | फिर छात्र को उसमे कीड़े कैसे नजर आये ?
बाबा की लीला अपरम्पार है उनकी लीला वही जानें |
देवरहा बाबा के चरणों में सादर नमन _/\_

साभार - ब्रजकिशोर जी के पुस्तक से प्राप्त 

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

Devhara baba kon hai or abhi kya ye jivit hai