बाबा अन्तर्धान हो गए !
मोतिहारी के कृष्णाधार शर्मा एक बार कुछ
साथियों के साथ बाबा के दर्शनों में बनारस गये | ट्रेन लेट होने के कारण वे लोग
बाबा के मंच के पास बारह बजे दिन में नौका के द्वारा पहुंचे | मंच गंगा की धारा
में रामनगर की तरफ था | जब वे लोग ‘ हरे राम संकीर्तन ’ करते हुए मंच के पास
पहुंचे तो देखा कि बाबा मंच से उतर कर धारा में स्नान कर रहे हैं | वे लोग संकीर्तन
करते हुए नौका में हीं किनारे रुक गए | सबकी नजर बाबा की तरफ हीं थी | सभी बाबा के
मंच तक आने का इंतजार करने लगे |
यह क्या ? बाबा स्नान करते करते जल के
भीतर बैठ गये | सभी लोग आश्चर्य से देख रहे थे | कीर्तन की धुन अविराम चल रही थी |
सबकी नज़रें घड़ी पर थी | ठीक
पचपन मिनट तक जल के भीतर रहने के बाद बाबा अचानक मंच के उपर खड़ा हो कर जटा का जल
निचोड़ते हुए दिखाई दिए | जल से निकल कर मंच पर चढ़ते हुए उन्हें किसी ने
नहीं देखा | एक हीं साथ जल समाधि और अन्तर्धान होने के दृश्य उनलोगों के समक्ष
प्रकट हुए |
बाबा इसी तरह घंटों जल में रहने के
अभ्यासी थे | अन्तर्धान हो जाते थे | यह बाबा जैसे – अनंत विभूति सम्पन्न योगिराज
संत शिरोमणि के लिए हीं संभव है |
देवरहा बाबा के चरणों में सादर प्रणाम
_/\_
साभार : प्रो ० ब्रजकिशोर जी के पुस्तक से
प्राप्त
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