शनिवार, 24 अक्तूबर 2015

देवरहा बाबा के चमत्कार 18

तप का फल
( देवरहा बाबा का नाम “ देवरहा ” कैसे पड़ा इसकी कथा )
       काफी पहले की बात है | गोरखपुर जनपद का  मईल गाँव सरयू नदी के कटाव का शिकार हो गया था | वहां के किसान खेती की जमीन और घर को घाघरा ( सरयू ) की धारा में समाते हुए देख कर रो रहे थे | योगिराज ग्रामीणों की बिपति देख कर द्रवित हो गए | उन्होंने ग्राम वासियों को आश्वासन दिया – ‘अब सरजू जी कटाव बंद करेंगी | तट पर मेरी कुटिया डाल दो |’
       गाँव वालों ने बाबा की इच्छानुसार तट पर झोपडी डाल दी और बाबा वहीँ तपस्या में लग गये | तप के फलस्वरूप नदी का कटाव बंद हो गया | और धारा की दिशा बदल गयी | इससे प्रभावित हो कर लोग दर्शनों में आने लगे और दियर ( नदी के किनारे का बालू वाला क्षेत्र ) में रहने के कारण बाबा  ‘ दियरहा ’ बाबा कहलाने लगे जो अब कालान्तर में देवरहा बाबा के नाम से प्रसिद्ध हैं |

       सिद्ध योगी हीं नदी पर ऐसा अनुशासन कर सकते हैं | मुहम्मदाबाद ( गाजीपुर ) के निकट एक गाँव है हरिहरपुर | वहां भी पंजाबियों जैसे गठीले बदन वाले एक सिद्ध पुरुष थें | जिन्होंने गाँव वालों को नदी के कटाव से बचाया था | और बदले में सभी ग्राम वासियों को लंगोटी भर जमीन बाबा के कुटिया के लिए छोड़ना पड़ा था | उनकी समाधि ( लगभग  1920 ई ०  ) के बाद जब ग्रामीणों ने शर्त पालन बंद कर दिया तो फिर कटाव जारी हो गया जिसे काशी के किसी सिद्ध संत ने शर्त पालन करा कर नियमित करवाया था |
       देवरहा बाबा का सम्बन्ध नदियों से गहरा रहा है | उनकी जिन्दगी का अधिकाँश समय नदियों के गोद में हीं व्यतीत हुआ  था | | वे उन्हें माँ की तरह मानते थे अत : उनके कथन पर नदियाँ अपनी दिशा बदल लेती थी |
संतों के प्रेम भक्ति के आगे  उताल तरंगें भी  सिर झुका लेती हैं
देवरहा बाबा की जय _/\_

साभार : ब्रजकिशोर जी के पुस्तक से प्राप्त  

कोई टिप्पणी नहीं: