भूतों (Ghost )
के आकर , रंग, रूप आदि
जानने की इच्छा प्राय : लोगों के
मन में होती
है | सुप्रसिद्ध फिल्म निर्देशक रामानन्द
सागर जब अपनी फिल्म कोहेनूर की शूटिंग के लिए बदीनाथ गये थे तो उनकी वहां
भेंट परमार्थलोक नामक धर्मशाला के संचालक स्स्वामी सर्वदानन्द से हुई | उन्हीं के
अधीन एक और स्वामी थे जिन्हें वे छोटे स्वामी कहते थे | छोटे स्वामी ने भूत प्रेत सिद्ध कर रखे थे | उनसे जो कुछ
जानकारी प्राप्त हुई , उसका विवरण श्री रामानन्द सागर ने 28 जून 1981 के धर्मयुग
नामक पत्रिका में दिया है | छोटे स्वामी जी से उन्हें मालूम हुआ कि प्रेत का अकार
साधारणतया दिखाई नहीं देता | ऐसा लगता है कोई चीज हवा में तैर रही है | जिन्हें
प्रेत सिद्धि प्राप्त होती है वही इन्हें हर समय देख सकता है | इनसे हर समय बात कर
सकता है | रूप रंग इनका बड़ा विचित्र होता है | आँखों की जगह गड्ढे , नाकों की जगह
भी गड्ढे | सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रेतात्माओं के पैर नहीं दिखते , और जब
ये बोलते हैं तब सामान्य आदमी को लगता है की कहीं आसपास से मिनमिन
..........मिनमिन .... की इ आवाज़ आ रही है | सुनने वालों की समझ में इनकी कोई बात
नहीं आएगी लेकिन सिद्धि प्राप्त लोगों को इनकी सारी बातें समझ में आएगी |
भूत
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1 टिप्पणी:
प्रेत सिध्दि कैसे हो सकती है ।
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