रविवार, 7 जून 2015

देवरहा बाबा के चमत्कार - 4

मेटे मन का संशय  भारी  !
 एक जज थे श्री एम . पी  . सिन्हा | बाबा के परम भक्त बराबर बाबा के दर्शन को जाते थे |  उनका घर भर भक्त है बाबा का | लेकिन उनकी छोटी पुत्री को इन सब बातों में कोई आस्था नहीं थी | वह इन सब बातों को बेकार तथा ढकोसला मानती थी | अगली बार जब जज साहब ने दर्शन का मन बनाया तब छोटी पुत्री को भी यह कह कर कि “ चलो कम से कम घूमना हो जाएगा ” साथ ले लिया |
वह भी तैयार हो गयी यह सोच कर की बार बार माता पिता की बात को टालना ठीक नहीं , उसने यह सोचा की कम से कम आस्था नहीं है तो बाबा को देख तो लेगी | यही सोच कर वह तैयार हो गयी | मन में उसने सोचा ‘ बाबा अगर सचमुच में सिद्ध हैं तो मुझे नारियल का प्रसाद देंगे |’ उसने अपने लिए नारियल का प्रसाद सोचा बाबा अगर अन्तर्यामी हैं तो दें |

वहां  पहुँचने पर बाबा के दर्शन हुएं बाबा ने सबका कुशल क्षेम पूछा तथा सबको आशीर्वाद दिया | और प्रसाद दे कर सबकी छुट्टी की | उस लड़की को भी वही प्रसाद मिला जो अन्य को | वह बोली कुछ भी नहीं | उसने अपने मन की बात पहले भी किसी को नहीं बताई थी | सभी बाबा को दंडवत करने लगे | वह भी मुड़ी |
तभी बाबा की गम्भीर आवाज़ सुनाई पड़ी – “ बच्ची ” |
वह सामने मुंह कर खड़ी हो गयी –“  तुम तो सोच कर आई थी नारियल का प्रसाद पाने के लिए और चुप चाप केला ले कर जा रही हो | ‘ लो अपना प्रसाद लेती जाओ ’ उनके चेहरे पर रहस्यमयी  मुस्कुराहट उभर आयी | बाबा ने टोकरी में हाथ डाला और ताज़ा नारियल निकाल कर उसे प्रसाद  दिया | वह आवक रह गयी | बाबा ने आखिर उसके मन की भी बात को जान लिया | वे अन्तर्यामी है | अंततः उसके मन में भी बाबा के प्रति श्रधा जाग गयी |
पूज्य बाबा सहज करूणावश जीव मात्र पर दया कर अपने कौतुक मात्र से प्रेरणा देते रहते थे | वे कहते थे दुनिया में कोई नास्तिक नहीं है | नास्तिक होता तो विद्वान् होता और उसकी बात समझ में आती | जो है संशयआत्मा है |
बाबा सबमे संशय के भाव को मिटा देते हैं ताकि वह प्रभु चरणों में शुद्ध प्रेम के भाव से पूजा के फूल चढ़ा सके , प्रभु के अनंत विभूतियों के आनन्द में मग्न हो सके |
तो बोलिए और टिप्पणी में लिखिए देवराहा बाबा की जय |

-    साभार ब्रजकिशोर जी के पुस्तक से प्राप्त 

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