कौन हवा चले !
पूज्य बाबा प्रयाग में गंगा तट पर मंचासीन थे | मंच के निचे श्री शिवदानी सिंह
संतरी का काम कर रहे थे | पछेया ( पश्चिम के तरफ से बहने वाली हवा ) चल रही थी | हवा
के झोंके के साथ बड़ी तेज़ दुर्गन्ध आ रही
थी | दर्शनार्थियों का आना प्रारम्भ नहीं हुआ था | बाबा मंच पर बनी कुटिया के अंदर
थे | उसी समय एक दर्शनार्थी आ धमके | शिवदानी सिंह ने उनसे आग्रह किया –‘ महराज जी
के बाहर निकलने का समय अभी नहीं हुआ है दर्शन को दो घंटे बाद आइये |’
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‘ मैं तो भैया दर्शन कर के हीं जाऊँगा |’ आगन्तुक ने जाने
से इंकार कर दिया | शिवदानी सिंह झुझलाने वाले
हीं थे कि बाबा का स्नेहिल स्वर सुनाई दिया – ‘ बच्चा भक्त को बोलो कि मैं दर्शन
देता हूँ | ’
‘ अभी आपके बाहर निकलने लायक वातावरण नहीं
है | बड़ी तेज़ दुर्गन्ध आती है | ’ शिवदानी सिंह ने श्री बाबा से प्रार्थना की |
लेकिन बाबा झोपडी से निकल आए और भक्त को
दर्शन तथा प्रशाद दे कर छुट्टी की | इसके
तुरंत बाद वे पुन : अपनी कुटिया में चले गये | उन्होंने भीतर से हीं पूछा – “
बच्चा दुर्गन्ध किस चीज की है | ”
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“ मुर्दों की है महराज ! ” शिवदानी सिंह ने कहा |
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“ कौन सी हवा चले कि दुर्गन्ध इधर नहीं आवे ? ”
बाबा ने पूछा |
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“पछेया हवा चल रही है | यदि पुरवैया ( पूरब की ओर
से आने वाली हवा ) चले तो दुर्गन्ध विपरीत दिशा में चली जायेगी |”
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“ ठीक है बच्चा ” बाबा ने कहा |
अब दो मिनट के अंदर हीं पछेया का चलना रुक
गया और पुरवैया लहराने लगी | सर्वसमर्थ योगिराज देवराहा बाबा अपने भक्तों की आँखें
खोलने के लिए कोई न कोई खेल किया करते थे |
तो बोलिए और टिप्पणी में लिखिए देवराहा
बाबा की जय !
- साभार ब्रजकिशोर जी के पुस्तक से यह लेख प्राप्त
हुआ |
4 टिप्पणियां:
देवराहा बाबा की जय !
देवराहा बाबा की जय !
Yeh kaun hai? Never heard about him. Just read on your blog. Nice
ये तस्वीरें देवराहा बाबा की हैं । इन पर एक विस्तृत लेख प्रस्तुत करूँगा आप ब्लॉग पर बने रहें । ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद ।
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