शुक्रवार, 24 जुलाई 2015

देवरहा बाबा के चमत्कार 10

प्रकाशमय वृत और वर्षा 

अगस्त 1970 की कृष्णाष्टमी का दिन | बरसाती  मौसम | श्री  बाबा  का  बबूल  वन भी  जलमग्न | प्रो ० कुलानन्द ठाकुर , सियाराम सिंह और लल्लू जी नाव  से दर्शनार्थ  पहुंचे | और  भी  बहुत से लोग थे | साधू संत पानी में खड़े थे | बाबा मंच कुटी से बाहर आये | साधुओं को विदा किया | पुकार हुई और सियाराम सिंह मित्रों के साथ कुटी के निकट जल में खड़े हो गये | इतने में हीं पुन : जोरो की वर्षा होने लगी | सियाराम सिंह ने आश्चर्य से देखा उनके और प्रोफेसर मित्र के कपड़ों पर पानी का कोई असर नहीं हो रहा था | ध्यान देने पर पता लगा कि वहां किसी के कपड़े नहीं भींग रहे थे | वर्षा हो रही थी मूसलाधार पानी पड़ रहा था | किन्तु खुले आसमान के निचे खड़े कई लोग वर्षा के प्रभाव से अछूते खड़े थे | श्री बाबा के शरीर के चारो ओर एक प्रकाशमय वृत खिंचा हुआ था | वर्षा की बड़ी बड़ी बूँदें उसके बाहर हीं पड़ रही थी | वृत के भीतर नहीं | विस्मय की बात थी | आँखों को विशवास नहीं हो रहा था , किन्तु हाथ कंगन को आरसी क्या ?
       कृपालु बाबा ने रहस्यात्मक ढंग से मुस्कुराते हुए कहा – “क्या बच्चा छुट्टी कर दूं ? बहुत जोरों की वर्षा हो रही है |”
-    हमलोग  पर तो बाबा एक बूँद का भी असर नहीं हो रहा है | वर्षा होने से क्या ?
-    हाँ बच्चा सो तो ठीक है | परन्तु निचे भी तो बाढ़ के कारण जल है , बैठने के लिए कहीं सूखा स्थान नहीं | इसलिए जल्दी फुर्सत कर दूं तो अच्छा है |
और शिष्यगण प्रसाद ले कर विस्मित मन विदा हुए | श्री बाबा की असीम शक्ति ने वर्षा की बूंदों को भी प्रभावहीन कर दिया था |


देवरहा बाबा के चरणों में नमन _/\_
साभार : प्रो ० ब्रजकिशोर जी के पुस्तक से प्राप्त 




कोई टिप्पणी नहीं: