फाइल को पंख लग गए !
बिहार विद्युत् बोर्ड के उपनिदेशक के पद पर काम करने वाले शर्मा जी के
एक मित्र थे | वे सिविल सर्विस में थे | उनकी प्रोन्नति का मामला विचाराधीन था |
गाडी अटकी थी कुछ बिन्दुओं पर जांच थी | अकारण विलम्ब हो जाने की परिस्थितियां
उत्पन्न हो जाती थी | वे बड़े चिंतित थे | वे बाबा के दर्शनों में उपस्थित हुए |
बाबा ने कहा – “ चिंता मत कर भक्त ! तू तरक्की चाहता है , और बड़ा
हाकिम बनना चाहता है |”
- “हाँ बाबा मेरी प्रोन्नति की फाइल दो वर्षों में
जहाँ की तहां पड़ी है |”
- “और तुम्हारे मातहत तुमसे आगे निकल गये |” - बाबा
ने कहा
- “हाँ बाबा इसी में मिजाज खिन्न रहता है |”
- “ इन छोटी चीजों की चिंता व्यर्थ है | मन क्यों
छोटा करता है | बड़ी चीज की चिंता कर | यों , जाओ तुम्हारी तरक्की होगी | शीघ्र हीं
तुम बड़ा हाकिम बन जायेगा और अपने मातहत में शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा |”
और जो फाइल दब दब जाती थी , वह तेजी से दोड़ने लगी | पंख लग गये उसे |
एक पखवारे के भितर हीं अपने अपने आप हीं सरकने नहीं दोड़ने लगी | प्रोन्नति की
चिट्ठी पा कर उस अधिकारी को भी आश्चर्य हुआ | बाबा ने बिना कहे हीं उसकी
विपत्तियों का अनुमान कर आशीर्वाद दिया जो इतना जल्द फलीभूत हुआ |
संत और ईश्वर की
कृपा हो तो कुछ भी हो सकता है |
देवरहा बाबा के
चरणों में नमन _/\_
प्रो ० ब्रजकिशोर जी
के पुस्तक से साभार प्राप्त
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें