रविवार, 19 जुलाई 2015

देवरहा बाबा के चमत्कार - 7

जित देखों तित लाल 


श्री संजय कुमार चन्दन 16 जनवरी 1976 को बाबा के दर्शनार्थ मुजफ्फरपुर ( बिहार ) से अपनी कार द्वारा  चले | वे बिलकुल नास्तिक  थे | मांस मछली का सेवन दैनिक नियम था | माता पिता और मामा ने आग्रहपूर्वक उन्हें दर्शन में चलने को कहा था |  अत : वे साथ हो लिए थे |
       अब कार गोपालगंज ( बिहार ) से दस पन्द्रह किलोमीटर आगे पहुंची थी | चन्दन आगे बैठे थे | उनके पिता कार चला रहे थे | बगल में उनकी माँ थी | अचानक चन्दन में विचित्र परिवर्तन हुआ | वह जिधर नजर डालता उसे बाबा हीं दिखाई देते | सामने , बगल में , पीछे , स्टीयरिंग  पर – हर जगह बाबा हीं बाबा | वह घबडा गया उसके मुंह से चीख निकल पड़ी | वह बेहोश हो गया | बेहोशी में भी वह बडबडाता रहा – ‘ गलती हो गयी | क्षमा करो भगवन | मैंने पहचाना नहीं | तुम्हारे विराट रूप से अनभिज्ञ था | ’ उसे बाबा का डरावना और विकराल विराट रूप हीं दृष्टिगोचर होता रहा | माँ बाप घबडा उठे | कार करीब ग्यारह बजे रात को बाबाधाम ( आश्रम ) पहुंची |
       आश्रम में पहुँचने पर चन्दन पुरे होश में आ गया था | उसे आश्चर्य हुआ कि बाबा उस रात को भी मंच पर विराजमान थे | उस अँधेरी रात में भी बाबा ने चन्दन के पिता जी से कहा – ‘ बच्चा रामकिशोर भक्त ! चले आओ मैं तुम्हे दर्शन देता हूँ | ’
       सभी लोग मंच के निकट गये | रामकिशोर जी ने रास्ते की सारी घटना कह सुनाई | बालक चन्दन डर के मारे रो रहा था | बाबा ने स्नेह युक्त वाणी में कहा – ‘ सब प्रेम की लहर है बच्चा | बालक भक्त है , पर सांसारिक जाल में है | आओ , मैं इसका कल्याण कर देता हूँ |’
       बाबा इसी तरह प्रेम और भक्ति का लहर फेकते रहते हैं ताकि जीवों का कल्याण हो सके |
                           देवरहा बाबा के चरणों में सादर प्रणाम _/\_
साभार – प्रो ०  ब्रजकिशोर जी के पुस्तक से प्राप्त 


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