जित देखों तित लाल
श्री संजय कुमार चन्दन 16 जनवरी 1976 को बाबा के
दर्शनार्थ मुजफ्फरपुर ( बिहार ) से अपनी कार द्वारा चले | वे बिलकुल नास्तिक थे | मांस मछली का सेवन दैनिक नियम था | माता
पिता और मामा ने आग्रहपूर्वक उन्हें दर्शन में चलने को कहा था | अत : वे साथ हो लिए थे |
अब
कार गोपालगंज ( बिहार ) से दस पन्द्रह किलोमीटर आगे पहुंची थी | चन्दन आगे बैठे थे
| उनके पिता कार चला रहे थे | बगल में उनकी माँ थी | अचानक चन्दन में विचित्र
परिवर्तन हुआ | वह जिधर नजर डालता उसे बाबा हीं दिखाई देते | सामने , बगल में ,
पीछे , स्टीयरिंग पर – हर जगह बाबा हीं
बाबा | वह घबडा गया उसके मुंह से चीख निकल पड़ी | वह बेहोश हो गया | बेहोशी में भी
वह बडबडाता रहा – ‘ गलती हो गयी | क्षमा करो भगवन | मैंने पहचाना नहीं | तुम्हारे
विराट रूप से अनभिज्ञ था | ’ उसे बाबा का डरावना और विकराल विराट रूप हीं
दृष्टिगोचर होता रहा | माँ बाप घबडा उठे | कार करीब ग्यारह बजे रात को बाबाधाम (
आश्रम ) पहुंची |
आश्रम
में पहुँचने पर चन्दन पुरे होश में आ गया था | उसे आश्चर्य हुआ कि बाबा उस रात को
भी मंच पर विराजमान थे | उस अँधेरी रात में भी बाबा ने चन्दन के पिता जी से कहा – ‘
बच्चा रामकिशोर भक्त ! चले आओ मैं तुम्हे दर्शन देता हूँ | ’
सभी
लोग मंच के निकट गये | रामकिशोर जी ने रास्ते की सारी घटना कह सुनाई | बालक चन्दन
डर के मारे रो रहा था | बाबा ने स्नेह युक्त वाणी में कहा – ‘ सब प्रेम की लहर है
बच्चा | बालक भक्त है , पर सांसारिक जाल में है | आओ , मैं इसका कल्याण कर देता
हूँ |’
बाबा
इसी तरह प्रेम और भक्ति का लहर फेकते रहते हैं ताकि जीवों का कल्याण हो सके |
देवरहा
बाबा के चरणों में सादर प्रणाम _/\_
साभार – प्रो ० ब्रजकिशोर जी के पुस्तक से प्राप्त
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